Sunday, April 28, 2024
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अकल बड़ी या भैंस कहावत का अर्थ

by Ajay Sheokand
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प्राइमरी कक्षाओं में जब बच्चों को हिंदी व्याकरण पढ़ाया जाता है तो उसमें विभिन्न प्रकार की लोकोक्तियां और कहावतें भी पढ़ाई जाती हैं। ऐसे ही एक बहुत प्रसिद्ध कहावत जो बच्चों को पढ़ाई जाती है वह है अकल बड़ी या भैंस और वास्तव में बच्चे इसका सवाल खोजने को आतुर रहते हैं।

क्योंकि वह इस कहावत का अर्थ ठीक से नहीं समझ पाते और इसे एक पहेली के रूप में ले लेते हैं। लेकिन बड़े होते होते उन्हें इस कहावत का असली मतलब समझ आने लगता है और वह इसे अपनी जिंदगी में उतारने की कोशिश भी करते हैं।

आज के इस लेख में हम आपको इस कहावत के अर्थ के साथ ही इससे जुड़े विभिन्न उदाहरण भी देने जा रहे हैं जिससे कि आपका आप अपने जीवन में इस कहावत को सार्थक कर सके। 

मुहावरे का अर्थ

इस मुहावरे का अर्थ है कि शरीर का बड़ा होना मायने नहीं रखता अकल का बड़ा होना मायने रखता है।

बचपन में हम मजाक में यह जरूर कह दिया करते थे की है तो भैंस बड़ी लेकिन जल्दी अकल से है इसलिए अकल बड़ी हुई। भले ही यह वाक्य हम मजाक में कहते थे लेकिन सत्य भी यही है कि अकल ही बड़ी होती है। आइए हम आपको इससे जुड़े विभिन्न उदाहरण देते हैं।

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उदाहरण 1

इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इतिहास में जितने भी युद्ध हुए हैं उनमें अस्त्र-शस्त्रों का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं अब भी यदि दो देशों के बीच को युद्ध होता है तो उसमें भी अस्त्र-शस्त्र का उपयोग होता है। विभिन्न देशों ने अपनी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए बहुत से शस्त्रों का सामना किया है।

आप वर्ल्ड वॉर 1 और वर्ल्ड वॉर 2 को ही देख लीजिए उसमें भी कितने प्रकार के शास्त्रों का इस्तेमाल किया गया था कितने लोगों ने अपनी जान गवा दी थी। यहां पर हम बात भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की करें तो आप महात्मा गांधी जी का नाम लेने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।

क्योंकि वह एक मात्र ऐसी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बिना शास्त्रों के आजादी की लड़ाई लड़ी वह अहिंसा को ही अपना शास्त्र मानते थे। जबकि गांधी जी की फोटो देखने से पता चलता है पतले शरीर वाले व्यक्ति थे लेकिन उनके पास अकल की कमी नहीं थी इसीलिए उनका व्यक्तित्व यह जरूर सिद्ध करता है की अकल बड़ी हुई या फिर भैंस। 

उदाहरण 2

कुछ लोग यहां पर यह भी सोच सकते हैं की महाभारत के युद्ध में भी तो घटोत्कच और भीम ने अपना लोहा बनवाया था। हम इस बात को मानने से इनकार नहीं कर सकते हैं कि भीम और घटोत्कच का शरीर बड़ा था और अपने दुश्मनों के ऊपर विजय प्राप्त भी की थी।

लेकिन साथ ही हमें यह बात भी माननी होगी कि भीम और घटोत्कच को निर्देश देने वाले भगवान श्री कृष्ण थे और भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बुद्धि का सही उपयोग करते हुए सही दिशा निर्देश दिए। बुद्धि का उपयोग कर इंसान वह कर सकता है जो वह अपनी हट्टे कट्टे शरीर के द्वारा भी नहीं पा सकता। इसीलिए हमारी राय में अकल ही बड़ी होती है। 

पंचतंत्र की कहानियों से मुहावरे का अर्थ

यदि आप इन सब कहावतों से नहीं समझ पा रहे हैं या फिर आप अपने बच्चों को इस कहावत का सही अर्थ समझाने का प्रयास कर रहे है और वह छोटे हैं तो आप उन्हें पंचतंत्र की कहानियों के माध्यम से भी यह कहावत समझा सकते हैं।

आपने और आपके बच्चों ने पंचतंत्र में खरगोश और शेर की कहानी तो अवश्य पढ़ी होगी। यदि नहीं तो आइए हम आपको इस कहानी के सार के माध्यम से इस कहावत का अर्थ बताते हैं। एक बार जंगल का राजा शेर जानवरों को हुक्म देता है कि रोज एक जानवर उसके पास बिना कहे आ जाया करें।

सभी जानवरों को राजा का यह हुक्म मानना पड़ा और वह ऐसा ही करने लगे। रोज एक जानवर शेर के पास अपनी इच्छा से उसका शिकार बनने के लिए जाने लगा। लेकिन जब एक खरगोश की बारी आई तो उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए शेर को कुएं में कूदने पर मजबूर कर दिया।

जिससे कि शेर मर गया और सभी जानवर शेर के आतंक से भी मुक्त हो गए। इसी प्रकार उसे छोटे से चूहे को जंगल के राजा शेर पर विजय प्राप्त कर दे सभी जानवर बहुत खुश थे। यहां पर यह बात सिद्ध हो जाती है कि व्यक्ति का शरीर कितना भी बड़ा हो। यदि वह अकल से काम नहीं लेता तो उसका कोई फायदा नहीं होता

अपने प्रिय पाठकों को यह बता देना चाहते हैं कि इस लेख में दिया गया कोई भी उदाहरण किसी की व्यक्तिगत भावना को ठेस पहुंचाने की उद्देश्य से नहीं दिया गया है। हमारा इस लेख को लिखने का एकमात्र उद्देश्य आपको इस लेख में दी गई कहावत के बारे में ठीक ढंग से समझाना है।

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