आप बचपन से ही अनुशासन शब्द का प्रयोग हर जगह होते हुए देखते आए होंगे। जब आप स्कूल की किसी पंक्ति को तोड़कर आगे निकलने का प्रयास करते होंगे तो आपके अध्यापक आपको अवश्य कहते होंगे कि अनुशासन में रहो।
ऐसे ही और बहुत से उदाहरण दिए जा सकते हैं जहां पर अनुशासन शब्द का प्रयोग होता है। लेकिन अनुशासन का अर्थ सही मायने में क्या होता है? आज अनुशासन पर बहुत से सुविचार लिखे जा चुके हैं।
आइए आज के इस लेख में हम आपको अनुशासन पर सुविचार देते हैं। साथ ही हम आपको अनुशासन पर दोहे भी बताएंगे। तो आइए शुरू करते हैं अनुशासन पर विचार के ऊपर लिखा गया यह लेख।
अनुशासन पर दोहे – (Anushaasan par dohe)
नीचे हम आपको कुछ दोहे बताने जा रहे हैं जो खासतौर से अनुशासन पर ही लिखे गए हैं। इन दोहों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि अनुशासन हमें जीवन को जीने की कला सिखाता है।
- आपने इस बात पर बहुत से दोहे अवश्य पढ़े होंगे कि आज का काम कभी भी कल पर नहीं डालना चाहिए। इसी क्रम में यदि देखा जाए तो यदि हम आज का काम कल पर डाल देते हैं तो हम वही अनुशासनहीनता कर बैठते हैं जिससे कि हमारा काम रुकता चला जाता है। इसीलिए मनुष्य को अनुशासन में रहते हुए अपना आज का काम आज निपटा देना चाहिए और अनुशासन से रिश्ता जोड़ लेना चाहिए।
- जो व्यक्ति अनुशासन में रहना जानता है वह सदैव ही आगे बढ़ता है क्योंकि अनुशासन व्यक्ति को आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है। अनुशासित व्यक्ति की कद्र तो स्वयं समय भी करता है। अतः जो व्यक्ति अनुशासन से रहना जानता है वह भविष्य में जरूर कुछ अच्छा पाता है
- ऐसा कोई अज्ञानी व्यक्ति ही होगा जिसे यह बात नहीं पता होगी कि वह लाखों की भीड़ में भी अपनी अनुशासन के कारण एक अलग पहचान बन सकता है। यह बात आपने भी देखी होगी कि जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है लोग उसके अनुशासन की बात अवश्य करते हैं।
अनुशासन पर सुविचार – (Anushaasan par suvichaar)
हमारे देश में ऐसे बहुत से महान व्यक्ति हो चुके हैं जो कि प्रत्येक विषय पर बहुत सी महान बातें लिख चुके हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बहुत से महान व्यक्तियों के अनुशासन पर लिखे गए सुविचार के बारे में बताने जा रहे हैं।
डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने लिखा है कि मनुष्य को अनुशासन और गतिशीलता की आदत को विकसित करना चाहिए और अपने दृढ़ विश्वास को कभी भी टूटने नहीं देना चाहिए।
असग़र वजाहत जी लिखते हैं कि संकट का वक्त व्यक्ति को एकता से रहना सिखा देता है और एकता व्यक्ति को अनुशासन और अनुशासन के अनुकूल व्यवहार करना सिखा देती है।
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि अनुशासन के द्वारा ही परिवार और राष्ट्र को चलाया जा सकता है। यदि अनुशासन नहीं होगा तो ना तो परिवार ही चल पाएगा और ना ही राष्ट्र ठीक से चल पाएगा।
अनुशासन पर अनमोल वचन – (Anushaasan par Anamol Vachan)
अब जब हम अनुशासन शब्द को विस्तार से जानने का प्रयास कर रहे हैं। हम इस पर बहुत से अनमोल वचन और सुविचार पढ़ रहे हैं। हम इस पर दोहे भी पढ़ चुके हैं इस पर कुछ और अनमोल वचन पढ़ लेना बेहतर होगा।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार प्लीज भी अपने एक बहुत ही प्रख्यात सुविचार में यह बात कहा है कि जब तक किसी व्यक्ति के जीवन में बिना स्वार्थ की भावना नहीं आएगी तब तक वह पूर्ण तरह से अनुशासन का निर्माण नहीं कर पाएगा।
आपने गौतम बुद्ध द्वारा लिखी गई अनुशासन पर यह प्रसिद्ध पंक्तियां तो अवश्य पढ़ी होगी। कि यदि व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेना चाहता हैं, साथ ही अपने परिवार में सच्ची खुशी लाना चाहता है और सभी को शांति प्रदान करना चाहता है तो सबसे पहले उसे अपने मन को अनुशासन में रखने की जरूरत है साथ ही उसे अपने मन पर नियंत्रण साधने की जरूरत है।
यहां पर यह बात जान लेना बहुत आवश्यक है कि यदि समर्पण नहीं होगा और अनुशासन की कमी होगी। तो आपके अंदर कितनी ही प्रतिभा हो वह किसी भी काम को साकार नहीं कर पाएगी।
इसीलिए यदि आप किसी कार्य को अपने प्रतिभा के माध्यम से करना चाह रहे हैं तो जरूरी है कि आप उसमें अनुशासन बनाए रखें साथ ही उसके प्रति समर्पित भी हो।
किसी भी कार्य में सफल होने के लिए समर्पण की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। वहीं यदि किसी काम को बिना अनुशासन के बेढंगे ढंग से किया जाए तो लोग उसे पसंद नहीं करते हैं।
निष्कर्ष – (Conclusion)
हम आशा करते हैं कि आप ऊपर दिए गए अनुशासन पर दोहे को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे। साथ ही आप अनुशासन पर सुविचार पढ़ उन को भी आत्मसात करेंगे।
अनुशासन पर अनमोल वचन पढ़ना हमारी पर्सनालिटी को डेवलप करने में मदद कर सकता है। यदि आप चाहते हैं कि हम आपके सामने इसी तरह के और लेख लेकर आए तो आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।